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मई, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पति, पत्नी और साजिश

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मंच पर जवानी पार चुका एक बंदा अपनी जवान बीवी के साथ मौजूद है। दोनों सोफे पर बैठे ड्रिंक ले रहे हैं और पास में ही ‘ बार ’ सजी है। दोनों रह-रह कर एक-दूसरे की बाबत अपनी मोहब्बत की ताईद कर रहे हैं। मतलब साफ है कि रिश्ते के भीतर कहीं कोई लोचा है। पति को चौथा पेग गले से नीचे उतारने में दिक्कत आ रही है, यानी सेहत ठीक नहीं रहती। इसी दरम्यान बीवी का मोबाइल बजता है जिसपर उसका होनहार प्रेमी संवाद बोलता है- ‘ चिड़िया घर से निकल चुकी है, जल्द ही पहुँचने वाली है। ’ इस तरह एक सस्पेंस नाटक में शुरू होता है। बंगाल के राजनेता-रंगकर्मी बृत्य बसु के नाटक ‘ चतुष्कोण ’ का यह सस्पेंस मुकाम तक पहुँचने से पहले कई उतार-चढावों से होकर गुजरता है। नाटक में कुल तीन पात्र हैं और कुछ गफलतें। इनमें सबसे दिलचस्प गफलत तीसरे पात्र की है, जो खुद को इंटेलिजेंट और कलाकार समझता है ; लिहाजा उसे हमेशा धंधे और पैसे की बात करने वाले नायिका के पति से नफरत हो गई है। वह उन इकहरी शख्सियत वाले लोगों का नुमाइंदा है जो किसी जुमले के स्टीरियोटाइप में अपने लिए विचार खोज लेते हैं। अपनी खोखली नफरत के बूते वह हत्या करने जा रहा है। न

कोई बात चले उर्फ मोहब्बत की वर्तनी

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रामजी बाली लिखित, निर्देशित, अभिनीत प्रस्तुति ‘ कोई बात चले ’ को देखते हुए विजय तेंदुलकर के नाटक ‘ पंछी ऐसे आते हैं ’ की याद आती है। पर यह एक लाइट कॉमेडी है। इसका नायक कन्हाईलाल बंसीप्रसाद 35 साल की उम्र में एक बीवी की तलाश में है। उसकी शर्तें बहुत मामूली हैं, जो जल्दी-जल्दी बदलती रहती हैं। कभी उसे गाल पर तिल वाली लड़की चाहिए, फिर वह इसमें ‘ आँखों में चमक ’ की शर्त जोड़ देता है। मैरिज ब्यूरो का पंजाबी लहजे वाला प्यारेलाल शर्मा शरीफ आदमी है जो उसकी हर डिमांड के मुताबिक लड़कियाँ ढूँढ़ निकालता है। इनसे मिलने की जगह कभी तीस हजारी मेट्रो स्टेशन के नीचे फिक्स होती है कभी किसी रेस्त्राँ में। रेस्त्राँ में ड्रिंक ले रही लड़की अपना नाम ‘ प्रियांका ’ बताती है और नायक को भूल में बार-बार बंसीप्रसाद के बजाय मुरलीप्रसाद बुलाती है ; और उनकी विवाह संबंधी चर्चा नामों की वर्तनी और व्याकरण में ही उलझकर दम तोड़ देती है। नायक की दिक्कत है कि वो काफी देसी इंसान है। पसंद की लड़की से मोहब्बत के इजहार में उसके तोते उड़े रहते हैं। अपने देसीपन में जब वह खालिस हिंदीनिष्ठ संवाद बोलता है तो एक अच्छी ना